“रोहिग्या” अखंड भारत के बंगाल प्रान्त के एक हिस्से में पैदा हुये जो जगह अब बांग्लादेश के नाम से जानी जाती है..अनुमानित १७वी – १८वी शताब्दी में यह लोग म्यांमार के अराकान के सीमावर्ती क्षेत्र में जाके बस गए… और वही की रहवासी बन गए….
रोहिंग्यो का संघर्ष
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा पर जापान के क़ब्ज़े के बाद आराकान में बौद्धमत के अनुयाई और रोहिंग्या मुसलमानों के मध्य रक्तरंजित झड़पें हुईं। रख़ाइन की जनता जापानियों की सहायता कर रही थी और रोहिंग्या अंग्रेज़ों के समर्थक थे..
४ जनवरी १९४८ स्वतंत्र बर्मा के उदय के पश्चात १९४८ में कुछ रोहिंग्या मुसलमानों ने अराकान को एक मुस्लिम देश बनाने के लिए सशस्त्र संघर्ष आरंभ किया जिसमे हजारो लोगो की मृत्यु हुई… वर्ष १९६२ में जनरल नी विंग की सैन्य क्रांति तक यह आंदोलन बहुत सक्रिय रहा..और बर्मा को भारी नुकशान का सामना करना पड़ा….जिसके चलते जनरल नि विंग ने सैन्य करवाई कर स्तिथी को सँभालने की कोशिश की…जिसके चलते लाखो रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी… सैनिक शासन ने 1982 के नागरिकता कानून के आधार पर रोहिंग्या लोगों को नागरिकता देने से इनकार कर दिया और इन्हें बिना देश वाला (स्टेट लैस) बंगाली घोषित कर दिया..
ऐसी स्थिति में ये बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर जाते थे, थाईलैंड की सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसते थे या फिर सीमा पर ही शिविर लगाकर बने रहते थे । 1991-92 में संघर्ष के दौर में करीब ढाई लाख रोहिंग्या बांग्लादेश चले गए …
भारत और रोहिंग्या
भारत के पूर्वी हिस्से में रोहिंग्यो की घुस बैठ भारत के लिए हमेश से एक एहम मुद्दा रहा है….और हाल में बोधगया में हुए बम धमाको में भी रोहिग्यो का नाम चर्चा में रहा है
म्यांमार से विस्थापित करीब चालीस हजार रोहिंग्या मुस्लिम कश्मीर,दिल्ली, हैदराबाद और कुछ अन्य भारतीय शहरों में अवैध तरीके से रह रहे है जिनकी उपस्तिथि सरकार और देश के लिए चिंता का विषय बन गई है और देश के दुश्मनों के लिए इनकी अवैध उपस्तिथि आसन शिकार बन चुकी है..
सबसे बड़ी समस्या रोहिंग्या विस्थापितों के इस्लामी हमदर्दों की है, जो पाकिस्तान के अपने सुरक्षित अड्डों में बैठकर उनकी दुर्दशा को ‘इस्लाम-विरोधी अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र‘ की तरह पेश करते हैं और रोहिंग्यो में भारत विरोधी मानशिकता की आग लगाने की कोशिश कर रहे है ..जिससे भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है..
भूतकाल से ही भारत सभी असहाय लोगो ने लिए स्वर्ग की तरह रहा है.. दुनिया में कोई भी सताया हुआ व्यक्ति हो वो भारत की तरफ आशा भरी निगाहों से देखता है … भारत ने संकट में पड़े हर व्यक्ति के लिए करुणा से भरा हर्दय सदेव खोला है चाहे वो पारसी हो यहूदि हो या तिबती हो सबके लिए भारत एकमात्र विकल्प रहा है पर रोहिंग्यो की उपस्तिथि भारत के सुरक्षा के लिए संकट बन चुकी है…..
अन्तराष्ट्रीय समाज की इस विषय में अनदेखी रोहिंग्यो के लिए और दुखद है…कथाकथित मुस्लिम देशो ने तो रोहिंग्यो को प्रवेश देने से भी इंकार कर दिया है…
मेरा धर्म मुझे हर असहाय की सहायता करने को कहता है… पर मेरा राष्ट्रिय धर्म जिसमे भारत माता की रक्षा सर्वप्रथम आती है वो मुझे नहीं कहता की एक भी रोहिंग्या भारत में रहे..
जरूरत के वक्त भारत ने रोहिंग्यो को सहायता दी है अब जब हालत सामान्य होने लगे है तो भारत सरकार को उन्हें सुरक्षित उनके घर वापस भेजने के इंतजाम कर देने चाहिए..यही उनके और भारतवासियों के लिए उचित होगा..
भारत माता की जय